नदी की उत्तर-आधुनिकता

नदी की उत्तर-आधुनिकता

धाराएँ सदा एक-सी नहीं होतीं
कई बार उसकी ध्वनियाँ
आर्त्त-नाद होती हैं
सहमी तरंगों की
सूखते जल
गवाह हैं उनकी ग़लती हडि्डयों के
तंग किनारे
बारीक नसों की महीनतर
होने की कहानी है

गाँव से महानगर की सभ्यता
नदी के सहारे अब नहीं बढ़ती
मिट्टी के शब्द
मौजों की ध्वनियाँ
संस्कृति का संस्कार
नदी के अवयव नहीं रहे

जामा आधुनिकता का
चढ़ाया जा चुका है नदी पर भी
नदी का केंद्र विकेंद्रित हुआ
शहरीकरण, बाज़ारवाद की
सिकुड़ती दुनिया के बीच
ईहाओं का अमनुष्यत्व नदी की
उत्तर आधुनिकता है।