नकबेसर कागा ले भागा

नकबेसर कागा ले भागा

कागा नकबेसर लेकर भाग गया
ऐसे अभागे हो गए हो प्रिय
अभी भी गहरी नींद में सोये हो
मैं थक गई जगाते-जगाते

अब तो जाग जाओ प्रिय!
कब तक सोये रहोगे प्रिय!

उठो कि
कौवा अभी मुँड़ेर पर ही बैठा है
नकबेसर झपट लेने की खुशी में
काँव-काँव कर रहा है
जुट रहे हैं मुँड़ेर पर
उसके भाई बंधु

जल्दी करो प्रिय जल्दी!
कौवे से नकबेसर वापस लाओ

हे मेरे प्रिय!
मेरे नाक का सिंगार है ‘नकबेसर’
नाक की शोभा चली गई तो क्या होगा
कैसे मुँह दिखाऊँगी
छुपाऊँगी भी तो कैसे
जल्दी करो प्रिय!
कौवे से नकबेसर ले लाओ

मेरे पुरखों का गढ़ाया यह नकबेसर
बाज़ार में नहीं मिलेगा
कोई कंपनी इसे नहीं बना सकती

जल्दी करो
कौवे से नकबेसर वापस ले आओ

हे मेरे प्रिय!
जल्दी करो! इसके पहले कि
कौवा मुँड़ेर से उड़कर कहीं दूर चला जाए
या, नकबेसर को रसातल में फेंक आए

नींद से जाग जाओ प्रिय
नकबेसर ले आओ

मेरे नाक की शोभा है नकबेसर
इसे ले आओ

नकबेसर, मेरे देश की शोभा है
इसे ले आओ

नकबेसर, मेरी धरती की शोभा है
इसे ले आओ
नकबेसर कागा ले भागा
हे मेरे प्रिय!
जागो और नकबेसर ले आओ।


Image: illustration for the poem two crow by-19101
In valley and distant jan brueghel the elder
Image Source: WikiArt
Artist : alexander pushkin
Image in Public Domain