स्वाभाविक ही

स्वाभाविक ही

प्रेम छुअन से होता है
आँखों के, कंधों के,
होठों के, बालों के
बातें बस सहायक होती हैं
पुरुष का प्रेम योनि से नहीं होता
महिलाओं का प्रेम लिंग से नहीं होता
ये रास्ते हैं

इन्हें हमेशा बढ़ते प्रेम की
ओर जाना चाहिए
अबके समय में ये रास्ते प्रेम से
शोषण की ओर जाते हैं
समाज प्रेम में छुअन की
भूमिका को छिपा रहा है
मंदिर में रखी मूर्ति के पीछे
और किसी पुरानी किताब के पीछे
हमें पता है

मंदिर में मूर्तियाँ बदली जा चकुी हैं
और किसी किताब में लिखे से
ज्यादा सत्य है इनसानी छुअन
स्वाभाविक ही

समलैंगिकता सत्य है
स्वाभाविक ही।


Image : Under the Blossom that Hangs on the Bough
Image Source : WikiArt
Artist : John William Godward
Image in Public Domain

प्रकाश साहू द्वारा भी