कवि

कवि

मैं कवि हूँ
मेरी अपनी मज़बूरी है
मैं ‘पसंद’ को ‘पसंद’ नहीं लिख सकता
मैं ‘प्यार’ को ‘प्यार’ नहीं लिख सकता

मुझे ‘प्यार’ लिखने के लिए
खोजने पड़ते हैं नए नए शब्द
गढ़नी पड़ती हैं नई नई परिभाषाएँ

और जब कोई शब्द खोजकर
वापस आता हूँ
मालूम पड़ता है ‘उसे’ किसी और से
‘प्रेम’ हो गया है

‘वो’ ‘उसे’ हमेशा ‘प्यार’ ही कहता है

और मैं, ‘इंतज़ार’ और ‘तकलीफ़’ के
नए शब्द खोजने निकल पड़ता हूँ
मैंने कहा था ना
मैं कवि हूँ

मेरी अपनी मज़बूरी है।


Image : Inspiration
Image Source : WikiArt
Artist : William-Adolphe Bouguereau
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अभिलाष प्रणव द्वारा भी