पुरानी फ्रॉक
- 1 October, 2016
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- 1 October, 2016
पुरानी फ्रॉक
वह नीम की छाया में बँधी बकरी थी,
ठंड में लिपटी गठरी थी
उदासी उसके चेहरे पर
प्रेत की तरह सवार रहती,
तप्त छत से वह नंगे पाँव
सूखे कपड़े बटोरती
ढीली-ढाली कुर्ती में
वह बुढ़िया जैसी लगती,
छोटी बच्ची होने के बावजूद
वह माँ की उतारन साड़ी पहनती,
समतल मैदान में
पहाड़ी पत्थर सी दिखती
फर्श पर पोछा लगाना हो
या बच्चे को गोद में खेलाना,
वह शायद ही हिचकिचाती
भैंस को चारा-पानी देना हो
या चावल-दाल फटकना,
वह कभी नहीं कुनमुनाती
उजास होने के पहले
डेउढ़ी को मिट्टी-गोबर से लिपती
किसी बच्चे को चोट लगे
या हाथ-पाँव कटे,
बात उसी को सुननी पड़ती
जब से मालकिन की बेटी ने
उसे पुरानी फ्रॉक दी है,
उसकी खुशी का ठिकाना नहीं
उसे याद आई
कितना खुश थी उसकी माँ
जब मालकिन ने
उन्हें पुरानी साड़ी दी थी
आज वह फ्रॉक पहन कर हवेली आई,
अरे यह क्या, मालकिन की
बेटी की पिटाई होने लगी,
कहीं उस पुरानी
फ्रॉक के कारण तो नहीं!
Image :Children running from a Thunderstorm
Image Source : WikiArt
Artist : Konstantin Makovsky
Image in Public Domain