सदगति
- 1 October, 2022
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-sadgati-by-pankaj-chaudhary/
- 1 October, 2022
सदगति
उसने चार कमरों के मकान में
झाडू लगाया पोंछा लगाया
दस लोगों के परिवार का कपड़ा धोया
सबके लिए चाय और नाश्ता तैयार किया
फिर सबका खाना बनाया
सबको खाना खिलाने के बाद
उनका जूठन धोया
भूखे-प्यासे दो जून की रोटी का
आँखों में सपना पाले
वह सुबह से दोपहर तक नाचता रहा
यह बोल सुनते हुए–‘तनख्वाह देते हैं
काम तो करना ही पड़ेगा
मर कर करे या जी कर।’
यह बात अंबानी, अडानी कहे
समझ में आती है
कोई शांतिदूत कहे समझ से परे है।
Image : The Ploughman
Image Source : WikiArt
Artist : Georges Seurat
Image in Public Domain