सदगति

सदगति

उसने चार कमरों के मकान में
झाडू लगाया पोंछा लगाया
दस लोगों के परिवार का कपड़ा धोया
सबके लिए चाय और नाश्ता तैयार किया
फिर सबका खाना बनाया
सबको खाना खिलाने के बाद
उनका जूठन धोया

भूखे-प्यासे दो जून की रोटी का
आँखों में सपना पाले
वह सुबह से दोपहर तक नाचता रहा
यह बोल सुनते हुए–‘तनख्वाह देते हैं
काम तो करना ही पड़ेगा
मर कर करे या जी कर।’

यह बात अंबानी, अडानी कहे
समझ में आती है
कोई शांतिदूत कहे समझ से परे है।


Image : The Ploughman
Image Source : WikiArt
Artist : Georges Seurat
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पंकज चौधरी द्वारा भी