सहमे सहमे आप हैं

सहमे सहमे आप हैं

मस्जिदें खामोश हैं, मंदिर सभी चुपचाप हैं
कुछ डरे से वो भी हैं, और सहमे सहमे आप हैं

वक्त है त्यौहार का, गलियाँ मगर सुनसान हैं
धर्म और जाति के झगड़े बन गए अब पाप हैं

रिश्तों की भी अहमियत अब खत्म सी होने लगी
भेस में अपनों के देखो पल रहे अब साँप हैं

मुँह के मीठे, पीठ मुड़ते भोंकते खंजर हैं जो
दाग हैं इक बदनुमा, इनसानियत पर, शाप हैं

राम हैं हैरान, ये क्या हो रहा संसार में
क्यों भला रावण का सब मिल, कर रहे अब जाप हैं।


Image : An Old Woman Praying
Image Source : WikiArt
Artist : Nicolaes Maes
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