बचा रहे औरत का चिड़ियापन

बचा रहे औरत का चिड़ियापन

मौसम आ गया है फिर से
पत्नी और चिड़िया के बीच
नोंक-झोंक का
पत्नी घर सँवारने की जिद्द में
उजाड़ देती है घोंसले
चिड़ियाँ घर बसाने की आकांक्षा में
बिखेर देती है पत्नी का झाड़ू
और गूँथ देती है तिनका-तिनका
किसी रोशनदान, आले या अलमारी की
ऊपरवाली ताक में।
चिड़िया को नहीं मालूम कि
इन सबका कोई मालिक भी है
वे तो पूरी दुनिया को
समझती हैं अपना
और अचंभित होती हैं
कि कोई क्यों उन्हें
अपनी दुनिया से
कर देना चाहता है बेदखल
एक दिन
बिखर जाता है छिटक कर
पत्नी के हाथ से झाड़ू
चिड़ियाँ बेखौफ चुनती हैं तिनके
आले, रोशनदान में
बस जाती हैं बस्तियाँ
पत्नी ताकती है
रोशनदान को टुकुर-टुकुर
और प्रमुदित होती है
सुनकर चीं-चीं कलरव
मुझे आती है बू
किसी दुरभि संधि की
मेरी हैरानी भाँप पत्नी
दीवार पर टँगे कैलेंडर को
एक पल देखती है
तिरछी नजर से
फिर छिपा लेती है मुँह मेरे सीने में
(जैसे कोई चिड़िया स्वयं को घोंसले में)
कैलेंडर पर एक शिशु की
भोली मुस्कराहटों के
इंद्रधनुषी रंग छितरे हुए हैं।
पत्नी की आँखों में
फुदक रही है मासूम चिड़िया
वही सर्वव्यापी अपनत्व
वे ही मुलायम डैने
आकाश को माप लेने का
वैसा ही हौसला
सोचता हूँ
बचा रहे औरत का चिड़ियापन
बची रहेगी दुनिया।


Image :The Goldfinch
Image Source : WikiArt
Artist : Carel Fabritius
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