कभी तो टोह लेते
- 1 February, 2022
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-sometimes-take-a-look-writer-by-purnima-saharan/
- 1 February, 2022
कभी तो टोह लेते
कभी तो टोह ली होती उस मन की
सुना होता अंतर्नाद
जो गूँजता रहा निर्बाध
आपादमस्तक
अनसुना सा रहा
आदि काल से
दमित, तिरस्कृत, विदग्ध
सदियों तक…
कभी तो खोलते ग्रंथियाँ
बंद मुट्ठियाँ
जिनमें उकेरे गए थे
सिर्फ शून्य
रेखाएँ तो उभर आई थीं
परंतु केवल भाल पर
सिलवटें बन…
संघर्ष दर संघर्ष बाद
पाए कुछ मुट्ठी आसमान
विरोध के दलदल में
धँसे थे पाँव
पीठ पर छींटे थे
आक्षेपों के,
भीतरी कुढ़न के
बाँधे रही बाँधे
और तुम
बने रहे चट्टान…
कभी तो बने होते उपत्यका
और बह जाने देते
संताप, वेदना, कुंठा
कल-कल कल-कल
समा लेते अपने भीतर
सड़ती, गलती
उबलती, पिघलती
विवशताएँ
शोषित नारियों की
ए पुरुष…
त्याग कर दंभ
तुम कभी तो बन जाते
समुद्र…
Image : Haspinger Studie Zur Zweiten Figur Von Rechts
Image Source : WikiArt
Artist : Albin Egger Lienz
Image in Public Domain