जिंदगी की कहानी
- 1 October, 2020
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-story-of-life-by-janakivallabh-shastri-nayi-dhara/
- 1 October, 2020
जिंदगी की कहानी
जिंदगी की कहानी रही अनकही
दिन गुजरते रहे, साँस चलती रही।
अर्थ क्या, शक्क की अनमने रह गए
कोष से जो खिंचे तो तने रह गए
वेदना अश्रु-पानी बनी, बह गई
धूप ढलती रही, छाँह छलती रही!
जो जला सो जला, खाक खोदे बला
मन न कुंदन बना, तन तपा, तन गला
कब झुका आसमाँ, कब रुका कारवाँ
द्वंद्व चलता कहा, पीर पलती रही।
बात ईमान की या कहो मान की
चाहता गान में मैं झलक प्राण की
साज-सज्जा नहीं, बीन बजती नहीं
उँगलियाँ तार पर यों मचलती रहीं!
और तो और वह भी न अपना बना
आँख मूँदे रहा, वह न सपना बना
चाँद मदहोश प्याला लिए व्योम का
रात ढलती रही, रात ढलती रही।
यह नहीं जानता मैं किनारा नहीं
यह नहीं, थम गई वारिधारा कहीं
जुस्तजू में किसी मौज की, सिंधु के
चाहने की घड़ी किंतु टलती रही!
Image : Woodsman
Image Source : WikiArt
Artist : Ivan Kramskoy
Image in Public Domain