टीसन के बच्चे

टीसन के बच्चे

सुबह होते वे डिब्बे में घुस जाते,
चुपचाप फर्श बुहारने लगते,
उनके हाथ में एक कूँची होती

चप्पल, जूते को करीने से उठाते,
डिब्बा में बैठे यात्री
अपने पाँव ऊपर उठा लेते,
धूल-गर्द को इकट्ठाकर
गेट से बाहर फेंक देते बच्चे
सिक्का वास्ते हाथ फैलाते,
उदास चेहरा लिए फटी
कमीज की तरह लोगों को देखते,
कोई पैसे देता, कोई नहीं
बिना कोई शिकवा सिर झुकाये
दूसरे डिब्बे में घुस जाते बच्चे
ट्रेन से यात्रियों के उतरते
झुंड के झुंड डिब्बे के
अंदर टूट पड़ते बच्चे,
जिसे मिल जाता प्लास्टिक का बोतल,
खुशी से चमक उठती उसकी आँखें
खाली बोतल जमाकर
आपस में जुआ खेलते,
अंत में जो बड़ा और शातिर होता
जीत लेता सभी बोतलें,
हारे बच्चे चेहरा लटकाये
फिर से करते किसी
खाली ट्रेन का इंतजार

ट्रेन के आते दौड़ पड़ते,
गिड़गिड़ाते ढोने को सामान,
यात्री खुश होते,
वर्दीधारी कुली के बदले में
बड़े सस्ते में पट जाते बच्चे

मूँगफली बेचते, पॉपकार्न बेचते,
बच्चे की आवाज जादू का काम करती,
शाम होते-होते खाली हो जाती टोकरी

रात गुजरने पर
किसी सीढ़ी के कोने में
दुबक जाते बच्चे,
किसी को लू निगल जाता,
किसी को हैजा तो किसी को ठंड,
सूरज कल भी था, आज भी है,
शायद कल भी रहेगा,
मगर अँधेरा है कि जाने का
नाम ही नहीं लेता!


Image : Children on a Square near Capri
Image Source : WikiArt
Artist : Jean Benner
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