तो लिखा जाता है

तो लिखा जाता है

दिल में जब दर्द जगा हो, तो लिखा जाता है
घाव सीने पे लगा हो, तो लिखा जाता है

खुशी के दौर में लब गुनगुना ही लेते हैं
गम-ए-फुरकत में भी गाओ, तो लिखा जाता है

हाल-ए-दिल खोल के रखना, तो बहुत आसाँ है
हाल-ए-दिल दिल में छुपा हो, तो लिखा जाता है

अपनी खुद्दारी पे हम, लाख करें नाज ऐ दोस्त
अपनी हस्ती को मिटाओ, तो लिखा जाता है

गैर अपनों को बनाना, भी कोई होगा हुनर
गैरों को अपनी बनाओ, तो लिखा जाता है

बनी तस्वीर जो टूटे, तो गम तो होता है
टूटी तस्वीर बनाओ, तो लिखा जाता है

यूँ तो इक रोज फना, सबने ही होना है यहाँ
जान का दाँव लगाओ, तो लिखा जाता है

लोग फिरते हैं यहाँ, पहने खुदाई जामा
खुद को इनसान बनाओ, तो लिखा जाता है।


Image: Artists and calligraphers at work. Mughal miniatures
Image Source: Wikimedia Commons
Image in Public Domain