तंबाकू की खुमारी

तंबाकू की खुमारी

धुँधलके-सिहरन भरी शाम
पहाड़ी के उपवन में
शांत-थिर
ढल रही थी–
आहिस्ता-आहिस्ता!

यह शहर की नहीं
जैसे किसी गाँव की
धुँधलके भरी शाम हो–
हवा में अज़ीब किस्म की
थी गुदगुदी–
बारिश की यह शाम
रेशे-रेशे बँधी
बूनी हुई रेशमी धागे से!

गाँव का किसान
जैसे हुक्का चढ़ाये
अपनी ठंड को मिटाता,
तंबाकू की अज़ीब खुमारी में डूबा हुआ!
काश मैं भी
इस वक्त उसी किसान के
पास बैठा
ऐसे गदराये मौसम में
तंबाकू की खुमारी का लुत्फ़ उठाता!


Image: Chinnery, Indian Herdsman on a Bank
Image Source: Wikimedia Commons
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शोभनाथ यादव द्वारा भी