तुम्हारे प्यार को जानते शकुन्तला

तुम्हारे प्यार को जानते शकुन्तला

शकुन्तला! हम तुम्हें नहीं
तुम्हारे प्यार को जानते हैं शकुन्तला
शकुन्तला जो तुम्हें भूल जाता है
उसे तुम्हारे लिए हम
सदियों तक याद रखे हुए
संस्कृति की इस नदी में
कहीं-न-कहीं सुरक्षित है
तुम्हारे प्यार की निशानी
बस मिल नहीं रही है तो
इस विकट समय में
अपनी ही आँख में डूबी
ज़िंदगी नहीं मिल रही
मुद्रिका की निशानी से
तुम पहचान ली जाती हो शकुन्तला
वर्ना किसी औरत की बात पर
प्रेम और प्रेम की वजह से
जन्मे बच्चे के आधार पर
कौन करता विश्वास इस दुनिया में
इस दौर में जबकि
अवैध बच्चों
गिरे हुए गर्भों
और कई आत्महत्याओं के ज़रिये
हमने कई सुंदर चेहरों को
नहीं लेने दिया अस्तित्व
कई आत्महत्याओं के ज़रिये
हमने अच्छी लड़कियों के नाम
बदनाम पुकारों में शामिल कर लिए
आदमी वैसा ही
दुष्यंत की तरह आज भी माँगता
प्रेम की निशानियाँ
शकुन्तला इसी वजह से
हम तुम्हें नहीं तुम्हारे प्यार को जानते हैं।
जो महज़ दो हृदयों से परे
एक मुद्रिका पर टिके हुए
विश्वास की लचर कहानी कहता है।