वसंत की आहट

वसंत की आहट

वसंत! की आहट हो चुकी है!
सोच रही हूँ कि, स्मृतियों पर पड़े जाले को
झाड़-पोंछ कर हटा दूँ

उतार कर फेंक दूँ
आज, स्वार्थ के छोर पर चिपके
विश्वास और अविश्वास के
बीच झूलते हर छोटे-बड़े
बेवजह लम्हों को

अपने सीमित दृष्टिकोण और सीमित
दायरों के बीच बसते उस रेगिस्तान में
बो देती हूँ
सरसों, अलसी और पोस्त के बीजों को

मधुमालती के झूमते बेलों से आलिंगनबद्ध
नागफनी को उखाड़कर
रोप देती हूँ अपनेपन के कुछ पौधों को
और, निकाल कर ले आती हूँ
अपने उस स्वप्न को जिसे पिछले वसंत में
सड़क के किनारे
महुए के पेड़ के नीचे दबा कर
छोड़ आई थी मैं
जो आज भी गर्भस्थ शिशु की
भाँति साँसें ले रहा है

उसके बाद, शुभ-घड़ी में
मंदिर के प्रथम शंखनाद के बीच
अपने हृदय की पीड़ा का मधुर प्रत्यर्पण कर
स्वागत करूँगी वसंत का!


Image: spring spreads one green lap of flowers-1910
In valley and distant jan brueghel the elder
Image Source: WikiArt
Artist : john william waterhouse
Image in Public Domain