अम्बर राम
- 1 February, 2016
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-ambar-ram-by-harindra-vidyarthi/
- 1 February, 2016
अम्बर राम
अम्बर राम हँसते तो हँसती हवेली,
जिस रोज रूठ जाए
उस रोज रो पड़ती हवेली
मवेशी को चारा देना हो
या चौका-बरतन के लिए पानी लाना
कभी नहीं घबराते अम्बर राम
अम्बर राम के पहले भी आये कितने राम
परंतु मालिक के दाँत किटकिटाते
उखाड़ देते अपना तम्बू
मालिक के गुस्साते
अक्सर पिचक जाती कोई थाली
या फूट जाता लालटेन
आँटा पिसवाना हो या मेहमान के पाँव धुलवाना
कभी नहीं हिचकितचाते,
हमेशा हवेली के चहेते रहे अम्बर राम
शाम होते बत्ती जलाना
कभी नहीं भूलते अम्बर राम,
मालिक पीट-पीटकर पढ़ाते
लेकिन हमेशा फिसड्डी रिजल्ट लाता बेटा
हवेली में बचा-खुचा जो भी मिलता,
घर ले जाते अम्बर राम,
उसी से पोसाता उनका परिवार
मगर जब से दारोगा बन गया
अम्बर राम का बेटा,
उदास रहने लगे मालिक।
Image :Portrait of a Man
Image Source : WikiArt
Artist : William Merritt Chase
Image in Public Domain