बिका हुआ घर
- 1 February, 2016
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- 1 February, 2016
बिका हुआ घर
एक चील की छाया अभी-अभी
ज़मीन पर चलती हुई
छत पर चढ़ी
फिर जमीन पर दूसरी तरफ उतर
पेड़ों के झुरमुट में समा गई
अब वहाँ कोई नहीं रहता
जाने किसने, जाने कब
जाने किनके लिए बनाया होगा मकान
जो अब उम्र के आखिरी दौर में है
और कभी भी अपनी
ज़मीन के साथ खरीद लिया जाएगा
लगता है चील कोई आत्मा है
मकान कभी इसका घर रहा होगा
कई संबंध कोई संबंध
न रहने पर भी टूटते नहीं
जलते नहीं पिघलते नहीं,
नहीं रहा मकान
आदमी के अंदर रहता है
सहज नहीं होता
बचपन, यौवन और बुढ़ापा
किसी घर-आँगन में छोड़
बिना मुड़े निकल जाना
गोबरलिपी ज़मीन की गंध
खपरैलों में बसे घोंसलों में
गौरैया के अंडे
दरकती दीवारों में
गुमसुम पड़ी कितनी ही स्मृतियाँ
एक भरापूरा संसार
कल दब कर ज़मीन पर बिछ जाएगा
आकाश तक फैली इमारत की नींव बन
बरसों बाद कोई आएगा कुछ ढूँढ़ता हुआ
पूछेगा यहीं तो था मेरा घर
दिखाई क्यों नहीं देता?
Image :The House with the Cracked Walls
Image Source : WikiArt
Artist : Paul Cezanne
Image in Public Domain