कविता

कविता

कविता के लिए
मैं कहीं नहीं जाता
कोई विशेष उपक्रम भी नहीं करता
योजना भी नहीं होती
जहाँ और जिनके बीच होता हूँ
कविता वहीं होती है

शब्दों की कहानी इससे अलग नहीं
उन्हें खोजने निकलो, माथा भिड़ाओ
सारे करतब कर डालो
कुछ हाथ आने वाला नहीं

चाय बनाने की तरह
कविता नहीं बनती
जैसे जीवन में कब, किस मोड़ पर
और किससे प्रेम हो जाय, क्या पता!

वैसे ही कविता हो जाती है
वह शब्दों से सँवर जाती है!


Image : Portrait of the Author Vladimir Dahl
Image Source : WikiArt
Artist : Vasily Perov
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