छोटी-छोटी खुशी

छोटी-छोटी खुशी

अभी-अभी हँसती धरती हो गई है उदास
आँसू भींगी दूब सी काँपी है नींद
और नींद के सपने में उड़ी जा रही
वाण-विद्ध चिड़ियाएँ
बच्चा की आँखों में
सतवहिनी रेलवे प्लेटफार्म पर
वह लौटने लगा था
संसद भवन के
लाल कालीन पर
थिरकने लगे थे नींद में
उसके होंठ
अस्फुट सी आवाज आती रही
कुछ शब्द रह गए थे मन में
जगने पर भी
अखबार से निकलकर
बच्चा की पुलक में समायी थी–
छोटी-छोटी खुशी
मिसरी घोल रहे थे कानों में
उगते जा रहे थे शब्दों के बाग
चलते कहाँ अपने यहाँ ये शब्द
मनरेगा से लेकर विदेशी कंपनियों की
नौकरियों में भी
बच्चा नींद में बार-बार ऊपर उठाता है
तिरंगा को
कि लीलने लगता है धुएँ का समन्दर
भर जाती है चीखों से उतनी धरती,
उतना आसमान
अचकचा गया है बच्चा
नींद और जाग के
असमंजस में।


Image :Baby at Play
Image Source : WikiArt
Artist : Thomas Eakins
Image in Public Domain