बादल होना

बादल होना

नभ की नीली आँखों को
कजराने आए
बादल आए,
तपता मन हर्षाने आए

केवल बादल नहीं
आस बनकर छाये हैं
रचनाकार बड़े हैं,
कुछ रचने आए हैं
सौंधी का उल्लास,
गीत हैं हरियाली के
जो ऊसर में रंग भरेंगे
ख़ुशहाली के

दुबलायी नदियों का
वेग बढ़ाने आए

खेलेंगे बच्चों संग
काग़ज़ की नावों से
रिश्ते जोड़ेंगे आकर
तपते भावों से
छाएँगे, कजरी गाएँगे,
तीज मनेगी
बादल बरसेंगे तो
मन की पीर मिटेगी

नभ से मोती भरा
थाल बिखराने आए

इतना भी आसान नहीं है
बादल होना
आसमान को छोड़
धरा में ख़ुद को खोना
ऊँच-नीच को भूल
सभी को गले लगाना
ऊसर, पेड़, नदी, पर्वत
सबका हो जाना

क्या है जीवन-अर्थ
हमें समझाने आए।


गरिमा सक्सेना द्वारा भी