गुमशुदा

गुमशुदा

कोई मंजिल गुमशुदा नहीं होती
न कोई किताब, न कोई कलम
न कोई दरिया, न पानी का कोई सोता

गुमशुदा कुछ होता रहा है सदियों से
तो एक घर गुमशुदा होता रहा है
ताखे पर जिसके किताबें रखी होती हैं नज्मों की
कुछ तस्वीरें पुरानी यादों की और कुछ कोरे कागज

आप कोई नगर-नगर घूमते खानाबदोश नहीं
जो ढूँढ़ लाएँगे सदियों से गुम मेरे घर को


Image name: The Window
Image Source: WikiArt
Artist: Pierre Bonnard

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शंहशाह आलम द्वारा भी