किनारा वह हमसे
- 1 April, 2022
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-kinara-vah-humse-by-suryakant-tripathi-nirala/
- 1 April, 2022
किनारा वह हमसे
किनारा वह हमसे किए जा रहे हैं
दिखाने को दर्शन दिए जा रहे हैं
जुड़े थे सुहागिन के मोती के दाने
वही सूत तोड़े लिए जा रहे हैं
छिपी चोट की बात पूछी तो बोले
निराशा के डोरे सिए जा रहे हैं
जमाने की रफ्तार में कैसे तूफाँ
मरे जा रहे हैं, जिए जा रहे हैं
खुला भेद, विजयी कहाये हुए जो
लहू दूसरे का पिए जा रहे हैं।
Image : In the Boat
Image Source : WikiArt
Artist : Konstantin Korovin
Image in Public Domain