मत कुतर देना

मत कुतर देना

भव्यता का उमड़ता सागर
टपकता आसमान
चकाचौंध पृथ्वी।
खोजता हूँ खुद को
और खोजता हूँ…

कहाँ हूँ मैं!

पर ठहरो,
नहीं चाहिए मुझे उत्तर,
नहीं चाहिए।

मुझे रहने दो थमा
कितनी गतिशीलता है इसमें!

सँभालो, सँभालो
मेरे अभी-अभी आए पंखों को
इनकी मासूम उड़ान को।

मत कुतर देना इन्हें
कविता समझ
अरे, ओ, हतभागी निषाद।


Image : Venice Gondola on Grand Canal
Image Source : WikiArt
Artist : Camille Corot
Image in Public Domain

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