भोर गीत

भोर गीत

सूरज ने किरण-माल डाली
कानों तक फैल गयी लाली

क्षितिजों का उड़ गया अँधेरा
फैल गया सिंदूरी घेरा
गीतों ने पालकी उठाली

जाग गईं दूर तक दिशाएँ
बाहों-सी खुल गईं हवाएँ
भर गई जगह खाली-खाली

झींनी-सी छाँह काँपने लगी
धरती की देह ढाँपने लगी
कालिमा उजास में नहा ली।


Image : Stapleton Park near Pontefract Sun
Image Source : WikiArt
Artist : John Atkinson Grimshaw
Image in Public Domain

महेश उपाध्याय द्वारा भी