नदियों की गोद में
- 1 August, 2021
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-nadiyon-ki-god-mein-by-poet-pratibha-chauhan-nayi-dhara/
- 1 August, 2021
नदियों की गोद में
वे जो दिखते हैं
हमारे आसपास
बड़ी नैतिकता वाले लोग
पेड़ों को काटकर
सजाते हैं अपने घर
कभी न होते हुए तटस्थ
तटस्थता का करते हैं दावा…
वे नहीं समझते
नदी और जंगल खुद
तय करते हैं अपना भूगोल
और अपना व्याकरण
अपने रास्ते, अपना जीवन
खुद से बहना और उगना…
वो जानते हैं
संस्कृतियाँ पलती हैं
नदियों की गोद में
और झुकातीं हैं सिर अपना
ईश्वर की रचना के सम्मुख
समय आने पर कर देती हैं
पल में विनष्ट
समूचे के समूचे समाज
और नेस्तनाबूद
मनुष्य का अस्तित्व
तुम नहीं समझते
उनका धैर्य और बल
अंजाने में कर बैठते हो
उन्हीं से छल…
Image: Gray day on Valencia beach by
Image Source: WikiArt
Artist: Joaquín Sorolla
Image in Public Domain