रोबोट बनता नया साल

रोबोट बनता नया साल

ठिठुरती रातों में
प्रेमी अब जम चुके हैं
नहीं चलती हैं गर्म साँसें
नहीं गिरते हैं ओस
नहीं भीगती हैं पलकें
संवेदनाएँ हो गई हैं ख़ामोश
पेड़-पौधे इनकी साँसों में नहीं
हवाएँ कृत्रिम हो गई हैं
दीवारों पर टँगते नहीं कैलेंडर
मशीनों में बंद हो जाती हैं तारीख़ें
फिर भी हर बार की तरह
फिर परिवर्तन का ढोल बजाते
रोबोट बना आएगा नया साल।


Image : Peasant girl drinking her coffee
Image Source : WikiArt
Artist : Camille Pissarro
Image in Public Domain

सारिका भूषण द्वारा भी