जंगल में रात

जंगल में रात

चाँदी की चोंच
थके पंखों के बीच दिए
पड़कुलिया झील सो गई
जंगल में रात हो गई

शंखमुखी देह मोड़कर
ठिगनी-सी छाँह के तले

आवाजें बाँधते हुए
चोर पाँव धुँधलके चले
डूबी-अनडूबी हुँसुली
कितनी स्याही बिलो गई
जंगल में रात हो गई।


Image : The Ferryman Tying his Boat
Image Source : WikiArt
Artist : Camille Corot
Image in Public Domain

महेश उपाध्याय द्वारा भी