आग और पानी
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-on-aag-aur-pani-by-manisha-jain/
- 1 April, 2015
आग और पानी
चूल्हे को सुलगाकर
उसके ऐन सामने बैठ
पकाती है रोटी
एक परात भर आटे की रोटी
बनाती है वह
रोटी बनाते वक्त
आग का करती है सामना
आँख से आँख मिलाती है आग से
मगर पति की आँख का सामना
वह नहीं कर पाती
आँख झुका कर बैठती है
वह पति के सामने
उसका अन्नदाता जो है वह
चूल्हे की आग का सामना
करती है वह आग बन कर
पति का सामना करती है पर
वह पानी बन कर।
Image: Westindischer Maler um 1530-001
mage Source: Wikimedia Commons
Image in Public Domain