आश्वासन

आश्वासन

नहीं, मैं नहीं दे सकता
कोई आश्वासन
साथ निभाने का प्यार से
जीवन सँवारने का
तुम्हारी हथेली पर मेहँदी का
रंग चढ़ाने का, बाँहों में कसने का
हृदय में रखने का
नहीं, मैं नहीं दे सकता कोई आश्वासन

मैं तो सर्द हवाओं में
अपनी छाती से लगाकर
गरमाहट देने की तो बात छोड़ो
मैं तो तुम्हारे सर्द सीने पर
अपने कोट की भी गर्माहट देने का
आश्वासन नहीं दे सकता।

ऐसा कोई आश्वासन कैसे दूँ मैं
मैं तो बचपन से ही
किसी और के प्रेम में रंगा हूँ।

रंगा हूँ कुछ भूरे से, कुछ हरे से
कुछ मटमैले से, कुछ सफेद से
कुछ-कुछ नारंगी से रंग में
अपना सब कुछ तो उसको दे रखा है
फिर मैं कैसे आश्वासन दूँ
तुम्हें कुछ देने का
मैंने अपना तन-मन-धन उसे दे डाला है।
उसके लहराते आँचल में,
मैं भूल जाता हूँ थकान अपनी।
उसी के तिरंगे आँचल में
लिपटकर सो जाना चाहता हूँ,
जाना चाहता हूँ इस पार नहीं उस पार
फिर बोलो, मैं कैसे दे सकता हूँ
कोई आश्वासन, इस जन्म क्या?
सात जन्मों तक नहीं दे सकता
कोई आश्वासन।


Image : Seated couple
Image Source : WikiArt
Artist : Pierre-Auguste Renoir
Image in Public Domain

रूबी भूषण द्वारा भी