बाँसों का प्रदेश

बाँसों का प्रदेश

सुदूर पर्वत-पहाड़ों पर
बसा देखा है मैंने
बाँसों का प्रदेश
जहाँ हिम नदी-सी उच्छल
बहती है
ब्रह्मपुत्र, सियांग,
सुबनसीरी, लोहित की धाराएँ

मानव जीवन बसाये चलती
दिबांग, कमेंग और तिरप की
कलकल ध्वनि
सूर्य की प्रथम किरण
निद्रा से जागती भोर,
भारत की पूर्वोत्तर धरा पर
देखा है मैंने बाँसों का प्रदेश

धूप-छाँव लेकर
उमड़-घुमड़ कर बरसते
धरा गर्भ को कंपित करते
बादल राग,
वृक्षों की कंदराओं में
गुंजन करते विहाग,
नयी-नयी कोंपलों में
नवजीवन करता अट्टहास,
देखा है मैंने बाँसों का प्रदेश
नीलिमा-हरीतिमा रंग में रंगी
प्रकृति विचरण करती,
फूल-पौधों पर
ओस की बूँदें
मोती बन खिल उठती,

बाँसों में उत्पन्न सरसराहट से
जाग उठता मधुरमय नवगीत,
सीप में छिपे जीव
झिंगुर संग करते नृत्य,
पूर्वोत्तर का है परिवेश
जहाँ बसा है बाँसों का प्रदेश।


Image : Mill in the mountains
Image Source : WikiArt
Artist : Nicholas Roerich
Image in Public Domain