बीज

बीज

बीज उड़ता है आसमान में
बहता है नदी की धार में
जानवरों की अँतड़ियों और चिड़ियों की
चोंच में फँसकर चला जाता है
सरहदों के पार दूर तक

पृथ्वी ताकती रहती है
बीज की ओर
वह कहीं भी उग सकता है
रेगिस्तान में, पानी की सतह पर
चोटी पर, दीवार में, दरार में

सुनामी में भले ही
डूब जायें शहर
मारे जायें हजारों लोग
पर बीज बच जाते हैं तब भी
किसी बहते हुए मलबे के सहारे

कोई हुकूमत सैकड़ों लोगों को
बंद कर सकती है जेलों में
विरोधियों की लिंचिंग भी
करा सकती है
पर नष्ट नहीं कर सकती
उस बीज को
जो फूट सकता है
हाहाकार के विरुद्ध एक
मजबूत आवाज बनकर

इतिहास को पता होता है कि
एक न एक दिन
उसकी पीठ पर
उग आयेगा कोई बीज
और उसे एक स्वप्न में बदल देगा।


Image: Six seeding plants showing methods of seed dispersal, c. 1850 Wellcome V0044547.
Image Source: Wikimedia Commons
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