कहीं भी हो सकते हैं मुर्दे

कहीं भी हो सकते हैं मुर्दे

मुर्दों से हमेशा बदबू नहीं आती
वे कहीं भी हो सकते हैं
चलते-फिरते, खाते-पीते, बोलते-बतियाते

जब किसी निर्दोष के गले पर कोई
सरकार अपने घुटने टिका देती है
उसका दम घुटने लगता है
मुर्दे पहचान लिए जाते हैं

जब भी देना होता है
जिंदा होने का सुबूत
मुर्दों से दुर्गंध फूट पड़ती है।


Image : The First Mourning
Image Source : WikiArt
Artist : William-Adolphe Bouguereau
Image in Public Domain

सुभाष राय द्वारा भी