गुल्लक

गुल्लक

बड़ा कठिन समय है यह
जब मुनिया
मुन्नू-चुन्नु की गुल्लक तोड़ी जा रही है

शताब्दी खड़ी है सम्मुख
देना पड़ रहा है हिसाब
अपनी जमा राशि का ही नहीं
उन मुस्कुराहटों का भी जब
पापा दफ्तर से लौटकर रेजगारियाँ धर देते थे मुस्कुराहट के संग
देखने को आतुर रहते चुन्नू की मासूम मुस्कुराहट
गिनता मुन्नू भी अपनी हथेलियों की गर्माहट को
यह गर्माहट उस मजदूर के पसीने की थी
जिसे आज दिहाड़ी मिली थी
कहता बापू बस इत्तो सेई?
दुलारता हुआ ठंडी साँस का हिसाब रखता है गुल्लक भी
हाँ, बाकी अगले सनीचर को
मुनिया रोई
माँ तुमने चुपके से मेरी गुल्लक क्यों तोड़ी
कब? माँ ने इनकार किया बेमन से
उस दिन जब बुआ लोग आए थे
माँ की आँख में आँसू तैर गए
मुनिया बोली अब न कहूँगी
बाबा एक तारीख को नई गुल्लक लाएँगे
लाएँगे न माँ?
गुल्लक चुप
इतना लंबा इंतजार

गुड़िया की हर माह, हर हफ्ते नई गुल्लक
पिगी बैंक सब फुल्ल!
गुड़िया की पिगी बैंक नहीं खँगाली गई
नहीं तोड़ी गई गुड़िया की गुल्लक
गुड़िया आज फ्लाईट से जा रही है अमेरिका
डिज्नीलैंड, उसके हाथों में है गुल्लक
खड़ी है सिक्युरिटी चेकिंग के लिए
चेकिंग बेल्ट पर नहीं हुई कोई आवाज
गुल्लक में सिक्के नहीं, नोट थे
चिल्हरों को बेल्ट पकड़ लेती है
नोट को बाहर धकेल देता है
गुड़िया खुश है अपनी गुल्लक पाकर
गार्ड बोला बेबी जाओ
गुड़िया ने थैंक्स कहा
उसका चेहरा दिपदिपा रहा था
डिज्नीलैंड, डिज्नीलैंड
गुल्लक अभी तक उसके नन्हे
कोमल हाथों के घेरे में थी
आँखों में एक तसल्ली की चमक।

मुनिया,
चुन्नू-मुन्नू की ही गुल्लक क्यों??

प्रश्न है, शताब्दी से!


Image: Unglazed Earthernware money box
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