रिश्ते

रिश्ते

रिश्ते टूटते हैं क्या?
मोतियों की तरह बिखरते हैं क्या?
हाँ, हाँ यह रिश्ते बिखरते भी हैं
और टूटते भी हैं
जिन्हें बड़ी मेहनत से था
संजोया लड़ियों में था
पिरोया मासूमियत भरी थी इसमें।

एक आदर्श, एक पूजा
एक सम्मान था इसमें
पर तुमने तो मेरा
वजूद ही हिला डाला
क्या ऐसे होते हैं रिश्ते
आज यही सरेआम
चिथड़े में लिपटे
अपनी आबरू छुपाए
मौन साधे अपना मुकाम
तलाशते भटकते हैं दर-बदर
कैसी विडंबना है?

यह कैसी विडंबना है कि
तुम्हें किसी बच्ची में
युवती में या वृद्धा में
किसी भी रिश्ते की झलक
नहीं दिखाई देती
तुम्हारी दृष्टि तो सिर्फ
तोलती है जिस्म उनका और
अपनी हैवानियत से रौंद डालते हो
उसको फिर लहूलुहान होकर
दम तोड़ते यह रिश्ते करते हैं
एक सवाल क्या-क्या
मैं एक बार नहीं बार-बार
छली जाऊँगी और
गौतम के श्राप से
अहिल्या की तरह
बन जाऊँगी शिला।


Image : The Grandmother’s Birthday
Image Source : WikiArt
Artist : Ferdinand Georg Waldmüller
Image in Public Domain

रूबी भूषण द्वारा भी