तुम्हारे बिना
- 1 August, 2021
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-on-tumhare-bina-by-babulal-madhukar/
- 1 August, 2021
तुम्हारे बिना
आज तुम्हें होना चाहिए था
जेठ की चिलचिलाती रेत पर
हम चल लेते, बहुत होता तो
किसी दरख्त की छाँव में
बैठकर, हाँ-न कहते-कहते
दु:ख-सुख बाँट लेते
अब देखो न, एक डेग भी
चलना पर्वत गुजर रहा है
जबकि पहले कोई पर्वत ही नहीं था
गाँव की जिस नहर को
हम फान (लाँघ) जाते थे
अब वह समुद्र दिखता है
जिस वृक्ष पर हम डोल-पत्ता
खेलते थे, अब वह आसमान छूता है
ये सब तुम्हारे बिना
हाँ, तुम्हारे बिना!
Image: San Sebastian landscape
Image Source: WikiArt
Artist: Joaquín Sorolla
Image in Public Domain