बसंत के इन फूलों पर

बसंत के इन फूलों पर

जहाँ रहता हूँ मैं
आते-जाते आँखों में
फूलों के रंग दौड़ते हैं
चौंकड़ी भरते हुए
फूलों का यह रास्ता
बसंत का पाठ है
जिन्हें पेड़ हाथों में लिए खडे़ हैं

मैं कवि हूँ!
लाल-लाल व सुर्ख फूलों से भी लाल है
मेरे देश की सड़कों में, गलियों में बहा खूँन
बसंत के इन फूलों पर मैं
कविता कैसे लिख सकता हूँ

मेरे देश के किसानों, मजदूरों,
युवा लड़कियों और
लड़कों के सपनों के रंग
जो बसंत के इन फूलों से
अधिक चटख रंग के थे
जो गल गए, सूखे पत्तों की तरह उड़ गए
बसंत तुम्हारे इन फूलों पर मैं
कैसे कविता लिख सकता हूँ

यह सही है कि
पहाड़ों की चोटियों की बर्फ पिघली है
सोने की तरह चमके हैं उनके मस्तक
पर मैं सर में रखे उस टोकरे का क्या करूँ
जो अब भी गंध फेंक रहा है
जस का तस और
धोई जा रही है दीक्षा भूमि
जो गंधा उठी है देहों के स्पर्श से
सो इस देश में मैं
बसंत के इन फूलों पर
कैसे कविता लिख सकता हूँ

जिनके हाथों में पहाड़ तोड़ कर
खुद रास्ता बनाने की ताकत है
उनके हाथों को कटोरे की शक्ल में
तब्दील कर दिया गया है
तो बताओ बसंत इस देश में मैं
तुम्हारे इन फूलों पर
कैसे कविता लिख सकता हूँ

फिर राम ने अभी-अभी तो
अपने तरकश में रखे हैं
लोहू से भींगे बाण
तो तुम्हीं बताओ बसंत
तुम्हारे इन फूलों पर
मैं कैसे कविता लिख सकता हूँ

जो लडे़ नहीं थे
इतिहास में होने के लिए कभी
इतिहास के पन्नों में उनके नाम मुझे
इतिहास के पन्नों में धब्बों की तरह नजर आते हैं
तो बताओं बसंत तुम्हारे इन फूलों पर मैं
कैसे कविता लिख सकता हूँ

जो लडे़ थे देश के लिए
इतिहास के पन्नों से उनका खूँन
टपक कर चू रहा है मेरी थाली में
जिसमें रखी हैं मेरी रोटियाँ
मैं बसंत के इन फूलों पर
कैसे कविता लिख सकता हूँ।


Image : Bouquet of Flowers
Image Source : WikiArt
Artist : Eugene Delacroix
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