पलायन
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-palaayan-about-separation-by-bhavna-shekhar-nayi-dhara/
पलायन
लपेट रखे हैं कितने ही प्रश्न
हवा ने उँगलियों की पोरों में,
एक-एक कर छोड़ जाती हैं
रोज कमरे में
खिड़की के रास्ते,
अन ब्याही माँ द्वारा
किसी चौखट पर छोड़े गए
नवजात की तरह।
उत्तर की तलाश में प्रश्न
और साये की आस में शिशु
दोनों पड़े हैं
अनुत्तरित अनिश्चित।
मैं कायर अवसाद के
पीले लबादे को खींच लेती हूँ
सिर तक, भीतर अँधेरे में
भिंची आँखें खोल सकती हूँ
किंतु नहीं खुल पातीं
प्रश्नों की महीन पोटलियाँ,
नहीं कर पाती रुख चौखट का।
शिशु के क्रंदन से
चीखते हैं प्रश्न,
काश, जुटा पाती साहस
दोनों से न भागने का।
Image : It_s Sweet Doing Nothing
Image Source : WikiArt
Artist : John William Waterhouse
Image in Public Domain