रुआँसे चेहरे वाले लोग

रुआँसे चेहरे वाले लोग

वे चाहते हैं हमारी चुप्पी, हमारे कत्ल पर…
उन्हें पसंद नहीं मरते हुए लोगों के शोर
वे मुस्कान देखना चाहते हैं हमारे चेहरे पर,
जब चले छुरी गले पर और हमारी
साँस-नली कट जाए, एक फट की
आवाज के साथ फूट पड़े रक्तधार…
उन्हें पसंद हैं आँख मूँद कर मुस्कुराते लोग
उन्हें पसंद हैं उनकी हाँ में हाँ मिलाते लोग
उन्हें अच्छे लगते हैं
जुगाली करते, मिमियाते लोग
वे हमारी चुप्पी चाहते हैं हर उस खतरे में
जिनमें उनकी चालाक सहमति है…
इनसानियत की बात करते हुए
वे दबा देते हैं अपनी एक आँख…
उनके मुँह के दोनों कोरों पर
जमा होता है झूठ का विषैला झाग
जिसे जीभ फिराते हुए वे पोंछते रहते हैं
और लगातार बोलते रहते हैं।
वे चाहते हैं हम चलें मृत्यु की खाई की ओर
कदम दर कदम हाथ बढ़ाकर करें स्वीकार
आँखें मूँदें और रहें चुपचाप
वे घोंट देते हैं बड़ी सफाई से
सवाल करते लोग का गला
मजे की बात यह है कि जो चाहते हैं
हमारी चुप्पी और मुस्कान
हमारे कत्ल पर उन्होंने खुद अपना चेहरा
बनाया हुआ है रुआँसा।


Image : The Model Wearing a Greatcoat
Image Source : WikiArt
Artist : Boris Kustodiev
Image in Public Domain