आधी दहलीज पर औरतें

आधी दहलीज पर औरतें

उम्र की आधी दहलीज
पार कर चुकी औरतें
सुबह-सुबह ढूँढ़ती हैं
जीवन में
अदरक की चाय सी महक
देर तक बैठ सुस्ताती हैं
सुनती हैं बीत चुकी उम्र की गूँज

आँखों से गुजरते हैं
पीछे छूटी उम्र के अनेक चित्र

सोचती है–
काश! गया वक्त फिर से आ जाए
जब बच्चे घेरे रहते थे चारों ओर से
बहुत मिस करती हैं
फिर वही कोलाहल
उसी में रहना चाहती हैं फिर से

अब तो जरा-जरा बात पर
आँखें भर उठती हैं उनकी
मानो झरते हैं यादों के झरने
अकेलापन सीने में छुपा लेती हैं
और आँखों में आँसू भी
बस महसूसना चाहती हैं
एक विश्वास
एक स्वामित्व
एक हाथ की गरमाई
एक कंधे का सहारा
अब मुक्त होकर भी
मुक्त नहीं हो पाती कभी
बहुत सारी उलझनों से
उम्र की आधी दहलीज
पार कर चुकी ये औरतें।


Image :Dark Path
Image Source : WikiArt
Artist :Jakub Schikaneder
Image in Public Domain

मनीषा जैन द्वारा भी