एक लालटेन तो जलाओ
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poetry-about-ek-lalaten-to-jalao-by-manisha-jain/
- 1 December, 2015
एक लालटेन तो जलाओ
मर न जाए आँखों के सपने
पल पल झरती इस दुनिया में
कि उन्हें छूने दो
अँगुलियों से नीलगगन
आकाश में लटकता सूरज
चिढ़ा रहा है तुम्हें कौन?
मंद हो गई है चाँद की रोशनी
कि भटकती राह में
एक दिया ही काफी है
उसे आँधियों से बचा
ले जाओ, वहाँ
जहाँ बच्चे खड़े हैं
तुम्हारी प्रतीक्षा में
उम्मीद से भरे हैं वे
ये बच्चों पर आफत का वक्त है
कि अँधेरे के विरुद्ध
एक लालटेन तो जलाओ।
Image :Walk with lanterns
Image Source : WikiArt
Artist :Ilya Repin
Image in Public Domain