फिर जेठ तपेगा

फिर जेठ तपेगा

फिर-फिर जेठ तपेगा
आँगन, हरियल पेड़ लगाये रखना,
संबंधों के हरसिंगार
की शीतल छाँव बचाये रखना।

दूर-दूर तक सन्नाटा है
सड़कें छायाहीन हो गईं,
बस्ती-बस्ती लू से झुलसी
गलियाँ भी गमगीन हो गईं।
थके बटोही की
खातिर भी, मन की जुही खिलाये रखना।

झुलस रही रिश्तों की टहनी
संशय की यूँ उमस बढ़ी है,
उड़ना भूल गई गोरैया
घर-घर में यूँ तपन बढ़ी है।

पाहुन घन भी
लौट न जाए, बंदनवार सजाए रखना।

गुलमोहर की छाया में भी
तपती लू की छुरियाँ चलतीं,
दुल्हन सी मनचली घटायें
अम्मा की अरदास न सुनती।
प्यासे सपने
रूठ न जाए, दृग का दिया जलाये रखना,


Image :Making Jam
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Artist :Vladimir Makovsky
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