पानी बरसा धुआँधार
- 1 June, 2023
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- 1 June, 2023
पानी बरसा धुआँधार
पानी बरसा धुआँधार फिर बादल आए रे
धन्य धरा का हुआ प्यार, फिर बादल आए रे
धूल चिड़चिड़ी धुली, नहा पत्तियाँ लगीं हँसने
प्रकृति लगी करने सिंगार, फिर बादल आए रे
भीगी-भीगी छाँह उड़ रही माँ के आँचल-सी
गला धूप का अहंकार, फिर बादल आए रे
छिपा पत्तियों में पंछी कोई जाने किसको
बुला रहा है बार-बार, फिर बादल आए रे
प्रिया-देश से आने वाली जो पगली पुरवा
लाई है क्या समाचार, फिर बादल आए रे
जलतरंग बन गई नदी, उस पर नव-नव तानें
छेड़ रही झम झम फुहार, फिर बादल आए रे
फूट चली धरती की खुशबू समय थरथराया
लगे काँपने बंद द्वार, फिर बादल आए रे
उग आए अंकुर अनंत स्पंदन से भू-तन पर
आँखों में सपने हज़ार, फिर बादल आए रे
वन, पर्वत, मैदान सभी गीतों में नहा रहे
आ हम भी छेड़ें मल्हार, फिर बादल आए रे।
Image : After Rain, at Băneasa
Image Source : WikiArt
Artist : Stefan Luchian
Image in Public Domain