जागता रहूँ

जागता रहूँ

यह तो मुझको अब पता चला
जो बीत गया, वह अवसर था
चेतक मेरा जो फाँद गया
वह लौट रहा
मेरा डर था
डर था? डर था?
डर
भई संतन की भीर
हरि, तुम
हरो जन की पीर
डर, तुम
जागते रहो
मन के मैदान में
पुलकित आसमान में
मन भर धूल फाँक कर
तुम इसी तरह जागते रहो।
मैं इसी तरह भागता रहूँ
तुम इसी तरह भागते रहो,
मैं इसी तरह जागता रहूँ।


Image: A Moroccan Saddling a Horse
Image Source: WikiArt
Artist: Eugene Delacroix
Image in Public Domain