कवि नहीं, मेहतर चाहिए

कवि नहीं, मेहतर चाहिए

अगर वाकई
सब कुछ ठीक-ठाक होता और सकुशल
और हर चीज में दिखाई देता स्पंदन
तो फिर क्यों होता जन्म कविता का
इस संसार में?
कविता–जन्म देता है,
देता है, देता है यही सबूत
कि इस संसार में बहुत सारा है ऐसा-वैसा
जो नहीं है ठीक-ठाक
उसे ठीक-ठाक करने की
बनती है जिम्मेदारी
जिम्मेदारी फिर-फिर वहीं कविता की
कि जो उससे बेहतर चाहिए
कवि नहीं, मेहतर चाहिए।


Image: Roses Evening
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Artist: Konstantin Korovin
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