केश झाड़ती लड़की

केश झाड़ती लड़की

दिन तो शुरू हुए थे दिन से
बदल गए चलकर आगे।

समय बीत जाता फूलों के
नामों को गिनने में
परीकथा जैसी ही कोई
निजी कथा बनने में

आते ही सरदी चिड़ियों के
संग-संग पोखर जागे।

बाँसों की ताजा कोंपल पर
ओसों की बूँदों सी
अंधेरे में दूर चमकती
हिरणी की आंखों सी

कागज के कुछ टुकड़े जैसी
कुहरे इधर उधर भागे।
केश झाड़ती लड़की जैसी
थे धूपों के नखरे

सहज छोटी सी दिनचर्या में
फिर भी खुश थे निखरे

सुई भले चुभी उंगली में
थे उलझे कभी न धागे।


Original Image: Woman Combing Her Hair
Image Source: WikiArt
Artist: Pierre Auguste Renoir
Image in Public Domain
This is a Modified version of the Original Artwork