खुद से रूठे तो मौसम बदल जाएंगे

खुद से रूठे तो मौसम बदल जाएंगे

खुद से रूठे तो मौसम बदल जाएंगे
दास्तां बनके अश्कों में ढल जाएंगे

रास्ते जब बनाओगे घर के लिए
आँधियों के इरादे भी टल जाएंगे

हम वो शीशा नहीं वक्त की आँच में
रफ्ता-रफ्ता किसी दिन पिघल जाएंगे

मूंद कर अपनी पलकें जरा देखिए
आँख में चंद सपने मचल जाएंगे

याद आएंगे तन्हाइयों में तुझे
जब तेरी राह से हम निकल जाएंगे।


Original Image: Ludovic Rodo Pissarro in the Garden of His Father in Eragny
Image Source: WikiArt
Artist: Maximilien Luce
Image in Public Domain
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