कितना अतृप्त हूँ मैं

कितना अतृप्त हूँ मैं

धरती,
तुम माँगे, बिन माँगे
मुझे वह सब कुछ देती हो
जिसके बिना मैं चल नहीं सकता
आकाश,
तुम माँगे, बिन माँगे
मुझे वह सब कुछ देते हो
जिसके बिना मैं पल नहीं सकता
किंतु, कितना पतित हूँ मैं?
कितना अतृप्त हूँ मैं
जिसकी छाया में बैठा
जड़ उसी की अनवरत
काट रहा हूँ मैं!


Image: Apple Trees in Blossom
Image Source: WikiArt
Artist: Charles-Francois Daubigny
Image in Public Domain