कोई मसअला हल तो हो

कोई मसअला हल तो हो

कोई मसअला हल तो हो
आज नहीं हाँ कल तो हो

जो इंसाफ़ सभी को दे
ऐसा राजमहल तो हो

तुझमें भटकूँ जीवन भर
पहले तू जंगल तो हो

दुःख आएँ लेकिन सर पर
माँ तेरा आँचल तो हो

मुस्तक़बिल1 की फ़स्लों को
आस का इक बादल तो हो

खुद पर जीत ज़रूरी है
हममें इतना बल तो हो

मंसूबे तो अच्छे हैं
इन पर कभी अमल तो हो

अपना दुःख किससे रोऊँ
गाँव का वो पीपल तो हो

जीवन के हर मसअले का
मरकर शायद हल तो हो

राज़ ‘विप्लवी’ खोलूँगा
आ तू भी पागल तो हो।


1. भविष्य


Original Image: Mountain Peak with Drifting Clouds
Image Source: WikiArt
Artist: Caspar David Friedrich
Image in Public Domain
This is a Modified version of the Original Artwork

बी.आर. विप्लवी द्वारा भी