गछिया कान्हा झूलै हे

गछिया कान्हा झूलै हे

मैथिली

गछिया कान्हा झूलै हे।
थिरकै सावन वन में, नभ में, मन में राधा तूलै हे।
सखि कदंब के पात पात में, आयल नवल संदेश,
पीयर, केसर, लाल रंग में डूबल श्यामल वेश,
चहकै पंछी करै किलोल कि जुही बेला फूलै हे।
झहरि झहरि नभ सँ गिरे, छहरि छहरि मोतीहार,
उमड़े घुमड़े मेघ सखि, गावै राग मल्हार,
बहियाँ ‘विंध्य’ करै झकझोर कि कान्हा में सब भूलै हे।


Image Courtesy: LOKATMA Folk Art Boutique
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